जयपुर- चिकित्सा विभाग की ओर से गुरुवार को अंगदान और अंगप्रत्यारोपण को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जहां अंगदान को लेकर चर्चा की गई। इस मौके पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने कहा कि राजस्थान भामाशाहों और दानदाताओं का प्रदेश है। दान करना यहां की संस्कृति में रचा.बसा है। विगत दिनों में जिस तरह से यहां अंगदान को लेकर जनचेतना बढ़ी है। अंगदान की शपथ लेने में राजस्थान देश में अव्वल है। अंगदान करने में भी राजस्थान को अव्वल बनाने के लिए रोडमैप तैयार किया जाएगा। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से गुरूवार को राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित राज्य स्तरीय अंगदान एवं प्रत्यारोप कार्यशाला का आयोजन किया गया। जहां प्रदेश में 18 वर्ष से अधिक आयु के करीब 25 प्रतिशत नागरिकों ने अंगदान का संकल्प लिया है जो एक रिकॉर्ड है। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में अंगदान को लेकर आमजन में एक भावना पैदा हुई है। हमारा प्रयास होगा कि इस भावना को साकार रूप देकर अधिक से अधिक लोगों का जीवन बचाएं। प्रदेश में अंगदान हेतु बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाया जा रहा है ताकि अंगों की मांग और उपलब्धता के अंतर को न्यूनतम स्तर पर लाया जाए। हमारा यह भी प्रयास है कि अंगदान करने और प्रत्यारोण करवाने दोनों की ही प्रक्रिया सरलतम हो।
सिंह ने कहा कि राजस्थान किसी समय चिकित्सा की दृष्टि से बीमारू श्रेणी में था लेकिन अब प्रदेश में अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं। राजनीतिक नेतृत्व की प्रतिबद्धता के कारण स्वास्थ्य के क्षेत्र को लेकर अब संसाधनों की कोई कमी नहीं है। प्रदेश में 7 प्रतिशत से अधिक बजट स्वास्थ्य सेवाओं को सृदृढ़ करने पर खर्च किया जा रहा है। राजस्थान आज मातृ मृत्यु दर, नवजात मृत्यु दर, टीकाकरण, संस्थागत प्रसव, स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सहित अन्य स्वास्थ्य मानकों को लेकर बेहतर स्थिति में है। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में आमजन को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए चिकित्सा संस्थानों का अभियान चलाकर निरीक्षण किया जा रहा है। विगत तीन सप्ताह में 2500 से अधिक निरीक्षण किए गए हैं। इस मौके पर चिकित्सा शिक्षा आयुक्त शिवप्रसाद नकाते ने कहा कि कुछ वर्षों पहले तक राजस्थान में अंगदान को लेकर जनचेतना नगण्य थी। अब स्थिति बदली है और लोग आगे आकर अंगदान के लिए संकल्प ले रहे हैं। राज्य सरकार प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में अंगदान के लिए सुविधाएं विकसित कर रही है ताकि अंगदान करने वालों की संख्या बढे़।