जयपुर-राजस्थान सरकार द्वारा इलेक्ट्रोपैथी के नाम से अलग पद्धति बनाए जाने के विरोध मे आयुर्वेद छात्र विरोध में उतर गए है। आयुर्वेद छात्रों का कहना है कि आयुर्वेदिक जङी बूटियों के अर्क को इलेक्ट्रोपैथी का नाम देकर आयुर्वेद के टुकडे करने की साजिश सरकार कर रही है। जिसके बाद सभी आयुर्वेद संगठनों में रोष व्याप्त हो गया है। सरकार के इस निर्णय के खिलाफ आंदोलन की शुरूवात करते हुए गुरुवार को राजस्थान के सभी आयुर्वेद कॉलेज छात्रों ने ट्विटर अभियान चलाया। जिसमें राजस्थान के सभी 18 आयुर्वेद कॉलेज के छात्र छात्राओं ने आक्रोश प्रकट किया।
आयुर्वेद संगठनों का आरोप है कि भजनलाल सरकार ने अपने चहेते फर्जी डिग्री बांटने वाले एक संगठन के पदाधिकारी के षड्यंत्र से अनभिज्ञता के चलते इलेक्ट्रोपैथी नाम से अलग पद्धति को मान्यता देने की घोषणा कर डाली। यह संवेदनशील विषय है कि आखिर सरकार स्वदेशी चिकित्सा पद्धति के टुकडे करने पर क्यों तुली है। आयुर्वेद की हर्बल औषधियों के अर्क को इलेक्ट्रो होम्योपैथी नाम से प्रचारित किया जा रहा है। दुनिया के किसी भी देश मे इस नाम की चिकित्सा पद्धति नहीं है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग मे भी बी ई एम एस नाम की कोई डिग्री अप्रूव्ड नहीं है। साथ ही आयुष मंत्रालय ने इसे आयुर्वेद से अलग पद्धति मानने से इंकार कर दिया है।
राजस्थान मे आयुर्वेद विभाग भी इसके संदर्भ में कोई स्वीकृति देने से मना कर चुका है। इसके बावजूद राज्य सरकार झोलाछाप लोगों की आयुर्वेद में घुसपैठ कराने की साजिश का हिस्सा बन रही है। ट्वीटर अभियान के संयोजक डॉ हरिसिंह और डॉ नवल कुशवाह ने बताया कि राजस्थान के सभी 18 आयुर्वेद महाविद्यालय के छात्र इस षड्यंत्र से आक्रोशित हैं। गांधीवादी तरीके से अपनी बात सरकार तक पहुंचने के लिए गुरूवार को प्रदेशभर के छात्रों ने ट्विटर अभियान में भाग लिया। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रोपैथी के रजिस्ट्रेशन के लिए बोर्ड गठन की कार्रवाई शीघ्र नहीं रोकी गई तो व्यापक आंदोलन किया जाएगा।