मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि संत-महात्माओं के आदर्श जीवन से प्रेरणा पाकर हमारी प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है तथा सनातन धर्म, संस्कृति को बढ़ावा देने में संतों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, उन्होंने कहा कि सरकार गोवंश के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है तथा पशुधन के कल्याण हेतु राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं का संचालन कर पशुपालकों को लाभान्वित कर रही है
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा बुधवार को संत समाज-गो भक्तों की आभार सभा को वर्चुअल माध्यम से ओटीएस स्थित मुख्यमंत्री निवास से संबोधित कर रहे थे, कार्यक्रम में आए साधु-संतों ने गोमाता के हितों के लिए किए गए निर्णयों, ईआरसीपी तथा यमुना जल समझौते के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने ढाई माह के अल्प कार्यकाल में पानी की समस्या को दूर करने के लिए प्राथमिकता से कार्य किया है, पूर्वी राजस्थान के लिए ईआरसीपी परियोजना तथा शेखावाटी क्षेत्र के लिए ताजेवाला हैडवर्क्स के ऐतिहासिक एमओयू के माध्यम से इन क्षेत्रों में पेयजल एवं सिंचाई हेतु पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो सकेगा, साथ ही, उदयपुर में देवास बांध परियोजना तृतीय एवं चतुर्थ के माध्यम से दक्षिण राजस्थान में भी जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है, उन्होंने कहा कि ये सभी परियोजनाएं कई वर्षों से लंबित थी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल तथा साधु-संतों के आशीर्वाद से अब इनका क्रियान्वयन संभव हो पाया है
शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गोवंश संरक्षण के लिए गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना प्रारंभ की गई है जिसके तहत पशुपालकों को 1 लाख रुपए तक ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करवाया जाता है, सरकार द्वारा पशुधन के लिए मोबाइल वेटनरी यूनिट की भी शुरुआत की गई है, इन यूनिट्स के माध्यम से पशुओं को समय पर चिकित्सकीय सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी, उन्होंने कहा कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद राज्य सरकार द्वारा बस, ट्रेन तथा हवाई जहाज के माध्यम से दर्शनार्थियों के लिए परिवहन की सुविधा भी उपलब्ध करवायी जा रही है
कार्यक्रम में बुधगिरी मढ़ी (फतेहपुर शेखावाटी) के पीठाधीश्वर एवं गोसेवा समिति के अध्यक्ष दिनेश गिरी महाराज ने राज्य सरकार का धन्यवाद देते हुए कहा कि सनातन धर्म संस्कृति तथा गोसेवा संरक्षण के लिए राज्य सरकार अग्रणी भूमिका निभा रही है, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की दूरदर्शी सोच तथा उनके नेतृत्व के कारण यह संभव हो सका है, इस अवसर पर संत-महात्माओं का श्रीफल तथा शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया गया