राजस्थान में सत्ता परिवर्तन होते ही पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के सूखे कंठों की प्यास बुझाने का कार्य युद्धस्तर पर शुरू हो चुका है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के निर्देश पर सचिव देबाश्री मुखर्जी ने राजस्थान और मध्य प्रदेश के अधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई, जिसमें ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी)-पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) लिंक परियोजना के समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप देने पर अहम चर्चा हुई। ईआरसीपी-पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के संशोधित प्लान पर आधारित समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप देने के लिए बैठक आयोजित हुई। इसमें गत 27 सितंबर को हुई बैठक में तैयार समझौता ज्ञापन के ड्राफ्ट पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक इस लिहाज से महत्वपूर्ण साबित हुई कि इसमें समझौता ज्ञापन के ड्राफ्ट को अंतिम दे दिया गया। प्रबल संभावना है कि आगामी जनवरी में दोनों राज्य और केंद्र सरकार समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगे। बैठक में सेंट्रल वाटर कमीशन और नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी के अधिकारी भी मौजूद थे।
इस लिंक परियोजना से ना केवल पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के निवासियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था होगी, बल्कि औद्योगिक इलाकों के लिए भी पानी आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। मध्य प्रदेश के मालबा और चंबल रीजन के 2.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई भी होगी। यही नहीं, संशोधित प्लान का डीपीआर भी अगले साल मार्च महीने तक तैयार कर लिए जाने की संभावना है। केंद्रीय मंत्री शेखावत ईआरसीपी को राजस्थान में लागू कराने के लिए पिछले लंबे समय से प्रयासरत रहे हैं। उन्होंने कहा था कि राजस्थान में भाजपा सरकार बनते ही इस प्रोजेक्ट को प्राथमिकता के आधार पर लागू किया जाएगा। यही नहीं, शेखावत ने ईआरसीपी-पीकेसी लिंक प्रोजेक्ट को पांच प्राथमिकता वाले कार्यों में भी शामिल कराया था, लेकिन तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार के हठ के चलते इसे मूर्त रूप नहीं दिया जा सका। अब राजस्थान और मध्यप्रदेश के लाखों निवासियों को डबल इंजन सरकार का फायदा मिलेगा।