जयपुर— राजस्थान में आमजन को बेहतर इलाज उपलब्ध करवाने के मकसद से केंद्र सरकार प्रदेश में नए चिकित्सा संस्थान खोलने जा रही है ताकि प्रदेशवासियों को बेहतर इलाज मिल सके। स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने तीन वित्तीय वर्ष (2023-24 से 2025-26) के लिए कुल 2671.41 करोड़ रूपये की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है। इसमें 2274 उप स्वास्थ्य केन्द्र, 430 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 02 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के निर्माण और 108 ब्लॉक सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों (बीपीएचयू) की स्थापना के लिए कुल 2006.78 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। इसके अलावा केन्द्र सरकार ने पीएचसी और उप स्वास्थ्य केन्द्रों में डायग्नोस्टिक सेवाओं के लिए 528.18 करोड़ रुपये, शहरी पीएचसी में डायग्नोस्टिक सेवाओं के लिए 41.11 करोड़ रुपये और बीपीएचयू, शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर (यूएएएम) और आयुष्मान आरोग्य मंदिर (एएएम) के लिए 95.35 करोड़ रुपये के भी प्रावधान किए गए हैं।मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राजस्थान के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार की इस स्वीकृति पर आभार प्रकट करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस सौगात से आयुष्मान भारत और आयुष्मान राजस्थान का संकल्प साकार होगा। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से गांव-ढाणी तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं सुगमतापूर्वक मिल सकेंगी।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह की पहल पर वर्षों से लंबित स्वास्थ्य सेवाओं से जुडे़ महत्वपूर्ण प्रकरणों का निस्तारण किया जा रहा है। इससे चिकित्सा के क्षेत्र में करियर के इच्छुक युवाओं को नर्सिंग शिक्षा के लिए बेहतर अवसर मिल सकेंगे। उनके लिए रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध होंगे। साथ ही, प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ीकरण होगा।
दरअसल चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगभग 7 साल बाद वर्ष 2022 में निजी क्षेत्र में नवीन नर्सिंग संस्थानों की स्थापना के लिए विज्ञप्ति जारी की गई थी, लेकिन उस पर यथोचित निर्णय तथा गंभीरतापूर्वक काम नहीं होने से नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त नहीं हो सका। इस संबंध में कई वाद न्यायालय में भी दायर हुए और कानूनी पेचीदगियों में फंसने के चलते नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना नहीं हो सकी। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह के ध्यान में यह प्रकरण आने के बाद उन्होंने इस पर गंभीरतापूर्वक कार्यवाही प्रारंभ की। इसके बाद न्यायालय में विचाराधीन प्रकरणों के निस्तारण के संबंध में लगातार विभागीय बैठकें आयोजित कर न्यायिक प्रकरणों का निस्तारण किया जा रहा है।