जयपुर—ईआरसीपी प्रोजेक्ट को लेकर पक्ष और विपक्ष की ओर से लगातार बायानबाजी जारी है। मामले को लेकर एक बार फिर बीजेपी ने ईआरसीपी प्रोजेक्ट पर कांग्रेस सरकार को घेरा है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि गहलोत सरकार ने प्रोजेक्ट को धरातल पर नहीं उतरने दिया। शेखावत ने कहा कि संशोधित पीकेसी-ईआरसीपी प्रोजेक्ट पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों (नवीन 21 जिले) के लिए वरदान साबित होगी। लिंक प्रोजेक्ट से राजस्थान को 3677 एमसीएम पानी मिलेगा, जो पहले की ईआरसीपी (3510 एमसीएम) से ज्यादा है। पहले काल्पनिक फिगर था, अब सीडब्ल्यूसी ने वेरीफाई करके पानी तय किया है। उन्होंने कहा कि 40 हजार करोड़ में से 4 हजार करोड़ ही राज्य सरकार पर भार आएगा। नए एमओयू के बाद इस परियोजना का 90 प्रतिशत खर्चा केंद्र सरकार वहन करेगी। परियोजना में पेयजल, इंडस्ट्री और सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था की गई है। शेखावत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ प्रोजेक्ट के तहत कोटा और टोंक जिले में बांधों का दौरा भी किया। शेखावत ने कहा कि इस प्रोजेक्ट पर राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच समझौता होने के बाद भी विपक्ष द्वारा राजनीति की जा रही है। मुझे उम्मीद थी कि समझौते के बाद प्रधानमंत्री, केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय, राजस्थान के साथ मध्य प्रदेश सरकार की सराहना होगी, लेकिन सराहना की बात तो दूर विपक्ष विधानसभा से लेकर सड़क पर राजनीति करने से बाज नहीं आ रहा है।
तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए शेखावत ने कहा कि राजस्थान की तत्कालीन कांग्रेस सरकार की उदासीनता की वजह से पीकेसी इंटरलिंकेज ऑफ रिवर (आईएलआर) परियोजना का स्वरूप नहीं ले सकी। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के लोगों के प्यासे कंठों पर राजनीति की। लाखों हेक्टेयर संचित हो सकने वाली जमीन के किसानों के अरमानों पर राजनीति की। उल्टा अपनी राजनीतिक आकांक्षाओं की पूर्ति करने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री के लिए अशोभनीय शब्दों का प्रयोग किया। केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने केवल 3 जिलों जयपुर, अजमेर और टोंक को 525 एमसीएम पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए नवनेरा-गलवा-बीसलपुर-ईसरदा (एनजीबीआई) लिंक की योजना बनाई थी। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत सिंचाई की कोई घटक नियोजित नहीं थी। अशोक गहलोत ने ईआरसीपी धरातल पर न उतरे, इसके हर तरह के प्रयास किए। उन्होंने 50% निर्भरता के साथ ईआरसीपी की डीपीआर तैयार करने का आदेश दिया था, जो राष्ट्रीय परियोजना के अनुरूप नहीं था, क्योंकि राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के अनुसार 75% निर्भरता के साथ परियोजना को योजनाबद्ध किया जाना चाहिए था। यहां तक की मप्र के तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी एनओसी नहीं दी।
शेखावत ने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ पीकेसी-ईआरसीपी लिंक प्रोजेक्ट से जुड़े बांधों का दौरा किया। हेलीकॉप्टर में ही मुख्यमंत्री ने इस प्रोजेक्ट को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए कि परियोजना के लिए जो भी भूमि अवाप्त करनी है, उस दिशा में तत्काल काम करें। भूमि अवाप्ति के लिए डेडिकेटेड अधिकारी की नियुक्ति और ऑफिस बना दिया जाए।शेखावत ने कहा कि इस प्रोजेक्ट को आगामी पांच साल में पूरा कर लिया जाएगा। यह हमारा कमिटमेंट है कि हमारी सरकार के पांच साल के कार्यकाल में यह परियोजना हर हाल में पूर्ण होगी। 40 हजार करोड़ राजस्थान सरकार कंपोनेंट होगा, लगभग 25 हजार करोड़ मध्य प्रदेश का कंपोनेंट होगा, अभी डीपीआर बन रही है।