जयपुर- संशोधित पीकेसी-ईआरसीपी लिंक प्रोजेक्ट के बाद राजस्थान के कई अन्य जिलों को जल उपलब्ध कराने को लेकर हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से जल्द राजस्थान के चूरू, सीकर, झुंझुनूं सहित अन्य जिलों को न केवल पेयजल, बल्कि सिंचाई के लिए भी पानी मिलेगा। मामले को लेकर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि राजस्थान और हरियाणा के बीच एक डीपीआर बनाने को लेकर सहमति बन गई है। जिसके तहत दोनों राज्यों के बीच अंडरग्राउंड पाइपलाइन के माध्यम से पानी वितरित किया जाएगा। शनिवार को नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री शेखावत ने अपने कार्यालय में हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से राजस्थान को पानी देने की परियोजना पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के साथ एक बैठक कर चर्चा की। उन्होंने कहा कि राजस्थान के चूरू, सीकर, झुंझुनूं सहित अनेक जिलों को इसका लाभ खासकर पेयजल के रूप में मिलेगा। इस डीपीआर की प्रक्रिया और पूर्णता के लिए चार महीने का समय तय किया गया है। सेंट्रल वॉटर कमीशन और अपर यमुना रीवर बोर्ड की भी इसमें भागीदारी रही। शेखावत ने कहा कि दो दशक से अटके मुद्दे पर यह एक ठोस और स्थायी समाधान की दिशा में मजबूत कदम है। निश्चित ही राजस्थान में जल उपलब्धता के विषय में मील का पत्थर साबित होगी। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री शेखावत के साथ मीडिया से रूबरू होते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने केंद्रीय मंत्री शेखावत और हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर का आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह बहुत लंबे समय से लंबित योजना थी जिस पर ध्यान नहीं दिया गया था। क्योंकि कांग्रेस की सरकार ऐसी योजना पर ध्यान नहीं देती है। शर्मा ने कहा कि राजस्थान और हरियाणा में भाजपा की सरकार है। हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर जी ने बहुत सहयोग किया। क्योंकि इसमें तीन पाइपलाइन राजस्थान की और एक हरियाणा की डलनी है। उन्होंने कहा कि इस योजना से राजस्थान के जिलों में पेयजल की समस्या दूर होगी।
इसे लेकर राजस्थान और हरियाणा संयुक्त रूप से डीपीआर तैयार करेंगे। अंडरग्राउंड पाइपलाइन के जरिए जुलाई से अक्टूबर के बीच राजस्थान के चूरू, सीकर, झुंझुनूं सहित अन्य जिलों के लिए 577 एमसीएम पानी उपलब्ध कराया जाएगा। इससे पेयजल और सिंचाई की जरूरतें पूरी हो सकेंगी। अपर यमुना बेसिन में तीन जल भंडारण रेणुकली, लखवार और किशाऊ चिह्नित किए गए हैं। जहां से राजस्थान को हथिनीकुंड से निर्धारित अवधि के लिए जल उपलब्ध कराया जाएगा। यदि संभव हुआ तो शेष समयावधि में भी पेयजल और सिंचाई की जरूरतों को पूरा किया जाएगा।